ऑक्सीजन ज़्यादा लेने से फेफड़ों को पहुंचा सकती है गंभीर नुकसान, इन लक्षणों पर रखें ध्यान

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर जारी है। ये लहर पिछले साल आई पहली लहर से भी कहीं ज़्यादा विनाशकारी साबित हो रही है। हालांकि, 90 प्रतिशत लोग घरों में आइसोलेट कर और ट्रीटमेंट की मदद से स्वस्थ हो रहे हैं, लेकिन वहीं 10 प्रतिशत लोगों को ऑक्सीजन कम होने की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है।

क्योंकि अब अस्पतालों में बेड मिलना आसान नहीं रहा, इसलिए कई लोग अपने घरों में ऑक्सीजन सिलेंडर लाकर उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज़्यादा ऑक्सीजन लेने से फेफड़ों को पहुंच सकता है स्थायी नुकसान- इन‍ दिनों देखा जा रहा है कि ऑक्‍सीजन की जरा कमी होने पर लोग घरों में ऑक्‍सीजन सिलिंडर मंगवा लेते हैं और डॉक्‍टर की सलाह के बिना आवश्‍यकता नहीं होने पर भी सिलिंडर से ऑक्‍सीजन लेते रहते हैं। ऐसा करना स्‍थायी रूप से खतरनाक साबित हो सकता है।

पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम सीनियर पल्मोनोलोजिस्ट और पारस चेस्ट इंस्टीटयूट के एचओडी डॉ. अरुणेश कुमार ने बताया, “बहुत ज़्यादा मेडिकल ऑक्सीजन ग्रहण करने से ऑक्सीजन विषाक्तता हो सकती है। यह एक ऐसी कंडीशन होती है जिसमें मरीज़ के फेफड़े डैमेज हो जाते हैं। ऐसा तब होता है जब ज़रूरत से ज़्यादा ऑक्सीजन ग्रहण कर ली जाती है। इससे खांसने और सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती है। कई गंभीर मामलों में यह मौत का भी कारण बन जाता है। जब आप सांस लेते हैं, तो हवा से ऑक्सीजन आपके फेफड़ों में प्रवेश करती है और फिर यह आपके खून में जाती है।

ऑक्सीजन तब खून के माध्यम से शरीर के सभी हिस्सों में पहुंच जाती है। सभी हिस्सों में ऑक्सीजन के पहुंचने से शरीर के सभी अंग और ऊतक सामान्य रूप से काम करते रहते हैं, लेकिन जब बहुत ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन ले जाती है, तो फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। फेफड़े में मौजूद छोटी वायु की थैली (एल्वियोली) द्रव से भर सकती है या फेफड़ो दोबारा फूलने लायक नहीं रह जाते। जिसकी वजह से सामान्य रूप से हवा नहीं ग्रहण कर पाते। इससे फेफड़ों को ख़ून में ऑक्सीजन भेजने में मुश्किल होती है।

इस समस्या का हल क्या है?

ऑक्सीजन विषाक्तता को रोका जा सकता है। इसके लिए सप्लीमेंटल ऑक्सीजन के सेवन को सीमित करना होता है। अगर आप वेंटिलेटर पर होते हैं, तो आपकी हेल्थकेयर टीम ऑक्सीजन मशीन में ऑक्सीजन की मात्रा को सीमित करती है। अगर आप कोई ऑक्सीजन थेरेपी या स्कूबा इक्विपमेन्ट का इस्तेमाल कर रहे होते हैं, तो आपको मशीन की सेटिंग बदलने के लिए कहा जा सकता है। अगर आप कोई पोर्टेबल ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपका हेल्थकेयर प्रोवाइडर आपका टेस्ट कर सकता है, जबकि आप नॉर्मल एक्टिविटी या एक्सरसाइज़ कर सकते हैं। इससे ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में सही मात्रा में फेफड़ों द्वारा ग्रहण होती है। ऑक्सीजन का इस्तेमाल सुरक्षित तरीके से कैसे करें, इसके बारें में जानने के लिए अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर से बात करनी ज़रूरी है।

मौत का कारण भी बन सकती है ज़्यादा ऑक्सीजन

कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, पालम विहार के क्रिटिकल केयर और पलमोनरी- सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पीयूष गोयल का कहना है, “ऑक्सीजन का विषैलापन होना मतलब फेफड़ों का नुकसान होना होता है जो बहुत ज्यादा अतिरिक्त (सप्लीमेंट) ऑक्सीजन में सांस लेने से होता है। इसे ऑक्सीजन विषाक्तता भी कहा जाता है। इससे पीड़ित होने पर खांसी और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। कई गंभीर केसेस में यह मौत का भी कारण बनता है। जब आप सांस लेते हैं, तो हवा से ऑक्सीजन आपके फेफड़ों में प्रवेश करती है और फिर यह आपके खून में जाती है।

सभी हिस्सों में ऑक्सीजन के पहुंचने से शरीर के सभी अंग और ऊतक सामान्य रूप से काम करते रहते हैं लेकिन जब बहुत ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन ग्रहण की जाती है तो फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। फेफड़ों में मौजूद छोटी वायु की थैली (एल्वियोली) द्रव से भर सकती है या वह दुबारा फूलने लायक नहीं रहती। फिर इससे फेफड़े सामान्य रूप से हवा नहीं ग्रहण कर पाते। इससे फेफड़ों को ब्लड में ऑक्सीजन भेजने में मुश्किल हो सकती है।”

जब फेफड़े खून में सही तरीके से ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाते, तो इस तरह की परेशानी वाले लक्षण दिख सकते हैं: 

– खांसी आना

– गले में हल्की जलन होना

– छाती में दर्द

– सांस लेने में तकलीफ़

– चेहरे और हाथों में मांसपेशियों का हिलना

– चक्कर आना

– धुंधला दिखना

– जी मिचलाना

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