भारत में किसे और कैसे लगेगी वैक्सीन…क्या होंगे साइड इफेक्ट….?


फैक्टशीट के मुताबिक किसे वैक्सीन लगेगी और किसे नहीं?

  • आयुः वैक्सीनेशन सिर्फ 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए है। इससे कम उम्र के लोगों को वैक्सीन नहीं लगेगी।
  • कोरोना पॉजिटिवः अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या संदिग्ध है तो उसे वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी। अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव रहा है और उसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या कॉन्वेलेसेंट प्लाज्मा दिया गया है, उसे भी वैक्सीन नहीं लगेगी।
  • गर्भवती महिलाएं: गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं को वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी। कंपनियों की फैक्टशीट कहती है कि अगर गर्भधारण की योजना बना रही हैं तो भी डॉक्टर की सलाह के बाद ही वैक्सीनेट किया जाए।
  • एलर्जिक हिस्ट्रीः अगर व्यक्ति को किसी वैक्सीन या वैक्सीन में इस्तेमाल किसी सामग्री, किसी फूड या फार्मा प्रोडक्ट्स से एलर्जी की हिस्ट्री है तो उसे वैक्सीनेट नहीं किया जाएगा। डॉक्टर से परामर्श के बाद ही अंतिम फैसला होगा।
  • बीमार व्यक्तिः अगर कोई व्यक्ति बीमार है और किसी अन्य बीमारी की वजह से हॉस्पिटल में एडमिट है तो उसे वैक्सीनेट नहीं किया जाएगा। भले ही हॉस्पिटल में एडमिट करने का कोई भी कारण रहा हो।
  • पुरानी बीमारीः जिन लोगों को पुरानी बीमारी और जानलेवा रोग होंगे, उन्हें भी वैक्सीनेट किया जा सकता है। एचआईवी या कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के साथ ही जिन मरीजों में इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उन्हें भी वैक्सीन लगाई जा सकती है। फैक्टशीट बताती है कि इन लोगों में वैक्सीन का असर कम हो सकता है।
  • ब्रांडः जिस वैक्सीन का पहला डोज दिया है, उसका ही दूसरा डोज भी देना होगा। यानी पहला डोज कोवीशील्ड का दिया है तो दूसरा भी उसका ही देना होगा।
  • सावधानीः जिन लोगों को खून बहने की दिक्कत हो, प्लेटलेट से जुड़ा डिसऑर्डर हो, खून के थक्के जमने में दिक्कत होती है, उन्हें सावधानी के साथ वैक्सीन लगाई जाए।
  • स्टोरेजः दोनों ही वैक्सीन को 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच स्टोर करना होगा। रोशनी से बचाना होगा। अगर डोज जमा हुआ हो तो उसे नष्ट करना होगा।

किस तरह के साइड-इफेक्ट हो सकते हैं?
दोनों ही वैक्सीन के लिए अलग-अलग साइड इफेक्ट्स और उनके उपचार बताए गए हैं।
कोवीशील्ड
माइल्ड साइड इफेक्ट्सः जहां इंजेक्शन लगाया है वहां दर्द, सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द, असहज महसूस करना, बुखार, चक्कर आना या जोड़ों में दर्द। सामान्य पेनकिलर पैरासिटेमॉल से आराम मिलेगा।
रेअर साइड इफेक्ट्सः शरीर की नसों का बचाव माइलिन नामक परत करती है। यह इलेक्ट्रिक वायर्स के एक नेटवर्क की तरह है, जो दिमाग को संदेश भेजती है। माइलिन को नुकसान पहुंचने पर इसे डीमाइलिनेटिंग डिसऑर्डर कहते हैं। यह हो सकते हैं। इस वजह से वैक्सीनेट करने वालों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। साथ ही जिन लोगों में प्लेटलेट्स से जुड़ी समस्याएं हैं, उन्हें वैक्सीनेट करने में सतर्क रहने को कहा गया है।
कोवैक्सिन
माइल्ड साइड इफेक्ट्सः जहां इंजेक्शन लगाया है वहां दर्द, सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द, पेटदर्द, उल्टी-मितली, कमजोरी, बुखार, पसीना आना, सर्दी, खांसी और इंजेक्शन की जगह पर सूजन।
रेअर साइड इफेक्ट्सः भारत बायोटेक ने दावा किया है कि फेज-1 और फेज-2 ट्रायल्स के दौरान कोई भी गंभीर साइड-इफेक्ट सामने नहीं आया है। 25,800 वॉलंटियर्स पर फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। कोविड-19 क्लीनिकल मैनेजमेंट में इस्तेमाल होने वाली क्लोरोक्विन और कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स जैसी दवाएं एंटीबॉडी रिस्पॉन्स को प्रभावित कर सकती हैं।

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